बढ़ते डिजिटल अरेस्ट स्कैम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए साइबर अरेस्ट मामलों की पूरी जानकारी मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि इन अपराधों की व्यापकता और देशव्यापी नेटवर्क को देखते हुए अब जांच का दायरा सीबीआई के स्तर पर बढ़ाया जाना जरूरी है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इन साइबर अपराधों की जड़ें म्यांमार और थाईलैंड जैसे विदेशी ठिकानों से जुड़ी हुई हैं। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह इन मामलों की जांच के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार करें और कोर्ट को प्रस्तुत करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम सीबीआई की जांच की प्रगति की निगरानी करेंगे और जरूरत पड़ने पर आगे के निर्देश भी जारी करेंगे।” इसके साथ ही कोर्ट ने एजेंसी से यह भी पूछा कि क्या उन्हें इन मामलों की जांच के लिए अधिक संसाधन या विशेषज्ञों की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी याद दिलाया कि उसने 17 अक्टूबर को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रही ऑनलाइन ठगी पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराध जनता के न्याय व्यवस्था पर भरोसे की जड़ पर वार करते हैं यह मामला तब चर्चा में आया जब हरियाणा के अंबाला में एक वरिष्ठ नागरिक दंपति को फर्जी न्यायिक आदेश दिखाकर 1.05 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। कोर्ट ने कहा कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं है, बल्कि एक ऐसा नेटवर्क है जिसके खिलाफ राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर समन्वित कार्रवाई जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट अब 3 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।


