चंडीगढ़: सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) मुद्दे पर अब 28 दिसंबर को हरियाणा और पंजाब के सीएम की बैठक शाम चार बजे चंडीगढ़ में होगी। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत करेंगे। यह जानकारी हरियाणा के सीएम मनोहर लाल वीरवार को प्रेस कान्फे्रंस में दी। बता दें कि मसला सुलझाने के लिए कई दौर की बैठक पहले भी हो चुकी है। सुप्रीमकोर्ट ने भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपने स्तर पर हल निकालने को कह रखा और अब उसी क्रम में २८ दिसंबर की बैठक होने जा रही है। ये है पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद- पहली नवंबर 1966 को ज्वाइंट पंजाब से अलग होकर हरियाणा अलग राज्य की स्थापना हुई। उसी दिन से इस विवाद की शुरुआत होती है। नए राज्य के गठन के साथ पंजाब को नदियों का पानी साझा करने की जरूरत हुई। लेकिन, पंजाब ने रावी और ब्यास नदियों का पानी हरियाणा से बांटने के विरोध किया।हरियाणा के गठन से एक दशक पहले रावी और ब्यास में बहने वाले पानी का आकलन 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) किया गया। केंद्र सरकार ने 1955 में राजस्थान, अविभाजित पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच एक बैठक आयोजित कराई। ये नदियां इन्हीं तीनों राज्यों से गुजरती थीं। तब राजस्थान को आठ MAF, अविभाजित पंजाब को 7.20 MAF और जम्मू कश्मीर को 0.65 MAF पानी आवंटित किया गया। हरियाणा के गठन के बाद मुताबिक पंजाब के हिस्से के 7.2 MAF पानी में से 3.5 MAF हरियाणा को आवंटित किए गए। 1981 में हुए पुनर्मूल्यांकन के बाद पानी का आंकलन बढ़ाकर 17.17 MAF कर दिया गया। इसमें से पंजाब को 4.22 MAF, हरियाणा को 3.5 MAF और राजस्थान को 8.6 MAF पानी आवंटित हुआ। हालांकि, ये बंटवारा कभी लागू नहीं हो सका।


