सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज द्वारा कराई गई शादियों के सर्टिफिकेट को गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी का प्रमाण पत्र देना आर्य समाज का काम नहीं है। दरअसल कोर्ट में मध्यप्रदेश की एक नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। मामला लव मैरिज का बताया जा रहा है। लड़की के घरवालों ने उसे नाबालिग बताते हुए अपनी लड़की के अपहरण और रेप की FIR दर्ज करा रखी है, जबकि युवक का कहना था कि लड़की बालिग है। उसने अपनी मर्जी से विवाह का फैसला किया है। यह विवाह आर्य समाज मंदिर में हुआ है।
सुनवाई के दौरान बेंच ने आर्य समाज के विवाह प्रमाण पत्र को वैध मानने से इनकार कर दिया और आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि आर्य समाज एक हिंदू सुधारवादी संगठन है और इसकी स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी।
वेकेशन बेंच के जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना ने आरोपी के वकील की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि विवाह प्रमाण पत्र देना आर्य समाज का काम नहीं है। यह अधिकारियों का काम है। असली सर्टिफिकेट दिखाओ।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी। दरअसल MP हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2021 को आर्य समाज संगठन की मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा को शादियां करते समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 (SMA) के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया था।