बेतहाशा मंहगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने अभी हाल ही पेट्रोल-डीजल के एक्साइज ड्यूटी में कमी की है. इसके बाद कई राज्यों ने भी वैट में कटौती की है. इससे पेट्रोल-डीजल के दाम 10-15 रुपये प्रति लीटर तक कम हुए हैं. अगर राज्य सरकारें चाहें तो इनकी कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर तक की और कमी हो सकती है और लोगों को महंगाई से कुछ और निजात मिल सकती है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रिसर्च ने सोमवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े थे तो राज्यों को वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) के रूप में 49,229 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला था. यही वजह है कि राज्यों के पास अभी वैट में कटौती की और गुंजाइश है.
एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैट अभी भी रेवेन्यू से 34,208 करोड़ रुपये ज्यादा है. राज्य सरकारें चाहें तो तेल की कीमतों में कटौती कर सकती हैं. एसबीआई के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है. उनके पास टैक्स को समायोजित करने के आवश्यक साधान मौजूद हैं. राज्यों की कम उधारी से भी यह जाहिर होता है.
इन सभी बातों को ध्यान में रखा जाए और एक्साइज ड्यूटी में हुई कमी को समायोजित कर लिया जाए तो राज्यों को बजट अनुमान से अतिरिक्त और ज्यादा तेल राजस्व पर कोई फायदा या नुकसान नहीं हुआ है. राज्य सरकारें तेल पर वैट में कमी किए बिना भी डीजल की कीमत 2 रुपये और पेट्रोल 3 रुपये प्रति लीटर सस्ता कर सकते हैं.