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आईटी विंग अब सिस्टम को मेंटेन करेगा। फाइलों की पेंडेंसी कम होने से अलाटी हैरेस नहीं होंगे
कपिल चड्ढा, पंचकूला। इसे दिवाली गिफ्ट ही समझें एचएसवीपी के अलाटी। एचएसवीपी मुख्यालय ने आईटी विंग के ‘पर कतरÓ दिए हैं जो रेजीडेंशियल व कमर्शियल पीपीएम (प्लाट एंंड प्रापर्टी मैनेजमेंट) के मामले में बेवजह प्रदेश के इस्टेट आफिसर्स और जोनल प्रशासकों का ‘बॉसÓ बना हुआ था जबकि एचएसवीपी एक्ट के तहत जवाबदेही ईओ व प्रशासक की थी।
मुख्यालय ने अब तय किया है कि इस्टेट आफिसर्स और जोनल प्रशासक जिन कामों के लिए खुद अधिकृत हैं, वो सभी काम वे अपने लेवल पर अपनी जिम्मेवारी पर ही निपटाएंगे, उनकी फाइलें आईटी विंग में नहीं आएंगी। जानकारी के अनुसार, मुख्यालय ने तय किया है कि आईटी विंग पीपीएम संबंधी करेक्शन की फाइलों को डील नहीं करेगा जैसा कि अर्से से करता आ रहा था।
सिस्टम आफिसर यानी आईटी विंग के मुखिया हर किस्म की टेक्रीकल सपोर्ट यानी पीपीएम इश्यूज़ को रिजाल्व कराने के लिए इस्टेट आफिसर्स और जोनल प्रशासक के साथ उपलब्ध रहेंगे। साथ ही ये भी क्लीयर किया गया है कि अप्रूविंग अथॉरिटी अपने यहां की गई पीपीएम संबंधी करेक्शन के लिए पूरी तरह से जिम्मेवार होंगे। हां, ये जरुर है कि पीपीएम के काम संबंधित नोडल ब्रांच के तौर पर 2 प्रतिशत केसेज़ को एचएसवीपी मुख्यालय स्तर पर रैंडम वैरिफाई किया जाएगा।
मुख्यालय ने टेक्रीकल सपोर्ट एंड डेटा करेक्शन इश्यूज़ विषय पर जारी चि_ी में क्लीयर कर दिया है कि पीपीएम संबंधी करेक्शन के लिए कौन अधिकारी के पास ओरिजनल पॉवर्स और कौर अप्रूविंग अथॉरटी होगा। बता दें कि कंपनी/फर्म व इंस्टीट्यूशनल प्लाट्स के डायरेक्टर्स/पार्टनर्स के मामले में नाम एैड करने या काटने अथवा स्पेलिंग्स ठीक करने आदि के लिए फाइलें अभी अर्बन ब्रंाच/ मुख्यालय स्तर पर आएंगी। ओरिजनल पॉवर्स भी मुख्यालय के पास ही हैं।
एचएसवीपी में आईटी विंग का मूल काम शुरु में सिस्टम को मेंटेन करना ही था। कुछ साल पहले मौके की सक्षम अथारिटी ने आईटी विंग को ये अधिकार भी दे दिया कि प्रदेश भर से इस्टेट आफिसेज़ की फाइलें तकनीकी कारणों से जो प्रशासक के पास जातीं, उन्हें आईटी के रिकार्ड में करेक् शन करने के लिए मंगवा सकते हैं। लेकिन आईटी विंग ने ईओ व प्रशासकों को ही पुराने रेफें्रस उठाकर जवाब-तलब करना शुरु कर दिया था जबकि कानूनी रूप से जवाबदेह ईओ व प्रशासक ही हैं न कि आईटी विंग। इससे अलाटियों की हैरेसमेंट बढऩे लगी क्योंकि फाइलों की पेंडेंसी बढ़ गई थी। खैर…अब सीए के आदेश से सारी बातें स्ट्रीम-लाइन हो गई हैं।
ये लिखा है जारी चिट्ठी मे
एचएसवीपी मुख्यालय की प्रदेश में सभी प्रशासकों व इस्टेट आफिसर्स को जारी चि_ी में साफ लिखा गया है कि ….सिस्टम आफिसर शेल बी प्लेस्ड बाय जोनल एडमिनिस्ट्रेटर्स , इस्टेट आफिसर्स लेवल एंड दे शेल अपडेट द पीपीएम(प्लाट एंड प्रापर्टी मैनेजमेंट) फ्रॉम जोनल लेवल और ईओ लेवल एंड नो फाइल विल कम टू हेड क्वार्टर फॉर करेक् शन ऑफ पीपीएम इन आईटी सेल। द इस्टेट आफिसर्स एंड जोनल एडमिनिस्ट्रेटर्स ऑफ एचएसवीपी शेल बी इम्पॉवर्ड टू करेक्ट द पीपीएम एप्रूव्लस मेंशन्ड इन द लिस्ट एट देयर लेवल। यानी आईटी विंग की दखलअंदाजी हुई बंद जो एचएसवीपी एक्ट में कहीं दर्ज थी ही नहीं।