कड़वा सच: पंचकूला में हर दूसरी दुकान फायर सेफ्टी नाम्र्स के मद्देनज़र है अनसेफ

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पीसीएन ब्यूरो7, पंचकूला। उफ्फ ! पंचकूला यूं तो हरियाणा की अघोषित राजधानी और वीआईपीज़ का अक्सर आना-जाना लगा रहता है पर… एक रेगुलर फायर आफिसर तक नहीं है। अंबाला के फायर आफिसर तरसेम को एडिशनल चार्ज दिया गया है। आप सहज अंदाज लगाइएगा कि एडिशनल चार्ज वाला अधिकारी कितना समय अंबाला को देगा और कितना पंचकूला को, जबकि दोनों शहर बहुत महत्वपूर्ण हैं।
अब बात कड़वी: पंचकूला में फायर स्टेशन अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहा। निभा रहा होता तो शायद बीते दिनों में आगजनी की जो दो बड़ी घटनाएं हुईं, शायद टल भी जातीं या नुक्सान कम होता। वो तभी संभव था जब हरेक यूनिट में आग से बचाव के इंतजाम प्रापर सुनिश्चित कराए जाते।
कड़वा सच तो ये है कि इंडस्ट्रियल यूनिट हों या शॉप्स/शोरूम्स, शायद ही कुछेक में फायर सेफ्टी को तवज्जो दी गई हो वर्ना… तो राम भरोसे ही चल रहा है। तभी तो आग लगने पर फायर बिग्रेड के पहुंचने तक नुक्सान बहुत ज्यादा हो जाता है जो कम में भी टाला जा सकता बशर्ते कि फायर सेफ्टी के इंतजाम प्रापर सुनिश्चित हों। वर्ना…आगजनी की बड़ी घटनाएं आगे भी होती रहेंगी। वजह बनेगी लापरवाही।
गौर करें- बहुत सारे शोरूमों में प्रापर वेंटीलेशन ही नहीं है। बहुत से दुकानदारों ने अपनी सुविधा के लिए ताजी हवा के लिए विंडो तक नहीं छोड़ी। बेसमेंट्स में माल भरा पड़ा लेकिन इमरजेंसी में कैसे निपटना, बहुतों को ख्याल तक नहीं। बहुत सारे शोरूमों की ममटी को तालाबंद रखा जाता और टॉप फ्लोर पर आग लगने पर बचाव के लिए उपयुक्त है छत पर जाना लेकिन जाएं तो कैसे? फायर स्टेशन को हरेक यूनिट की ममटी को बचाव में कैसे यूज़ किया जाए, इसके लिए संबंधित मालिकों से मिलकर सिस्टम इंश्योर करना चाहिए ।

समय की मांग: हरेक इंडस्ट्रियल यूनिट, शोरूम, शॉप, होटल-रेस्तरां, कोचिंग सेंटर, सरकारी/प्राईवेट हास्पिटल/क्लीनिक और रेहड़ी मार्केट में फायर सेफ्टी के प्रापर इंतजाम सुनिश्चित हों।

कोचिंग सेंटर्स में आगजनी से बचाव के लिए दूसरी सीढ़ी जरुरी पर अधिकांश में तो है नहीं, लिहाजा फायर सेफ्टी नाम्र्स सख्ती से पूरे कराए जाने चाहिएं। अधिकांश केसेज़ में आगज़नी का कारण बिजली का शार्ट सर्किट माना जाता और शार्ट सर्किट न हों, उस पर तवज्जो नही।